Wednesday, March 4, 2009

भविष्य के जनसंपर्क और प्रचार युद्ध

जनसंपर्क के भावी ब्रांड्स

जैसा कि उम्मीद की जा सकती है, उसके ठीक विपरीत होंगे भविष्य के जनसंपर्क और प्रचार महायुद्ध। राजनेता होंगे जनसंपर्क के भावी ब्रांड्स । राष्ट्रपति ओबामा के जनसंपर्क योजनाकारों ब्लू स्पेस डिजीटल ने जिस तरह से यू ट्यूब को उनकी जनसभाओं के विडियो प्रचार में इस्तेमाल किया, सामाजिक संपर्क की साइट्स जैसे ट्विट्टर, फेस बुक, ऑरकुट, याहू, एम्एसएन, माईस्पेस, गूगलटॉक, लिंक्डइन और लाइवपर्सन जैसी साइट्स पर उनके प्रचार का माहौल बनाया उसने उस समय चुनाव प्रचार कि बाजी पलटी जब पूर्व राष्ट्रपति क्लिंटन कि पत्नी हिलेरी क्लिंटन और मकक़ुइन को इस दौड़ में ओबामा से कई मील आगे मान लिया गया था। ब्लू स्टेट डिजीटल ने ओबामा को अमरीका का ही नहीं पूरे विश्व में इंसानियत का ब्रांड बना कर रख दिया है। आपको मालूम है कि इस प्रचार युद्ध में इन्टरनेट के ज़रिये कंप्यूटर स्क्रीन्स और सेल फोन्स पर एसएम्एस के ज़रिये फोन्स के नन्हे स्क्रीनों को प्रचार का प्रभावशाली जरिया बना लिया गया था।
लोक नायकों का दौर आ रहा है
जी हाँ, अगले चुनाव आपके कम्पयूटर्स और सेल फोन्स के स्क्रीन्स तक आ पहुंचेंगे। अगले आम चुनावों में राजनेता नहीं लोक नायकों का बोल बाला होगा। चुनावों से पहले ही सबको यह पता चल जायेगा कि कौन किसके और किस हद तक साथ है। मगर इस जंग में उन पार्टियों को काफी परेशानी होगी जिनके पास न अपनी कोई वेब साईट है और न उसे बनाने का इरादा। जो मानते हैं कि आम आदमी सेल फ़ोन के संदेश पढता नहीं। ऐसी पार्टियों की संख्या कम नहीं है। अगला चुनाव युवा पीढी का है। उन पढे लिखे लोगों का है जो कंप्यूटर और सेल फोन्स का मतलब ही नहीं बल्कि उसके संदेशों को भी जानते हैं। जिनके आम पत्राचार ईमेल से होने लगे हैं। जो आपस में एसएम्एस से बात करते हैं और जो अपना खाली समय इन्टरनेट या सेल फ़ोन से माथा पच्ची करने में बिताते हैं।
युवा मतदाता बदलेंगे तस्वीर
इनके सपनों की दुनिया देश दुनिया के हर कोने तक पसर चुकी है। उनके राजनेता सिर्फ़ जनसभा में ही नहीं बोलते। उनके नेता उनके कंप्यूटर मॉनिटर के स्क्रीन पर दस्तक दे सकते हैं और सेल फ़ोन पर एसएम्एस भेज सकते हैं। यह लोग जब रियलिटीशो के किसी उम्मीदवार को जितने की ठान लेते हैं तो वोह सौ पचास वोट्स से नहीं बल्कि एक करोड़ एसएम्एस से जीतता है। सोच कर देखिये कि यह जेनरेशन अगले चुनावों में क्या हंगामा करने वाली है। किसका पलडा हल्का या भारी करने वाली है।
मंच, मीडिया, टीवी और सेल फ़ोन
इस बारे में हमारे दकियानूसी और बुर्जुआ किस्म के हिन्दुस्तानी जनसंपर्क योजनाकार कुछ जानते ही नहीं। उन्होने पल पल करवट लेती संचार क्रांति के इस दौर में सिर्फ़ पाँच साल पहले का चुनाव देखा है। उन्हें क्या पता कि पाँच साल में इन्टरनेट और सेलफ़ोन कितने ताकतवर हो गये हैं। कभी सिर्फ़ जिले में गाडियां दौडानेवाले और बूथ कैप्चर के धुरंधरों का ज़माना था। अब इलेक्ट्रॉनिक वोटर मशीन आगयी हैं। पहले तेज़ रफ़्तार साधन नहीं थे। आज मतदाता सुबह घर से निकलता है और ५०० मील का सफर पूरा करके शाम तक घर आजाता है। आज ट्रेक्टर और बेलगाडी भी पचास किलोमीटर घंटे की रफ़्तार से भागती हैं। ऐसे में रोज़गार की तलाश में पूरा दिन घर से बहार रहने वालों और शाम से ही टीवी से चिपक जानेवालों तक कैसे पहुँचा जा सकता है? सीधी बात है कि पाँच साल बाद हो रहा आगामी आम चुनाव पूरी तरह से मंच, मीडिया, टीवी और सेल फ़ोन की मदद से जीता जायेगा। जिसने सही योजना बनायी बाजी उसी के हाथ लगेगी। चुनावी जंग में एनएनआई जैसे जन माध्यम ही तुरुप के असली इक्के साबित होंगे।

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